
पंडित हरिप्रसाद चौरसिया का जन्म 1 जुलाई 1937 को इलाहाबद, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वह विश्व के जाने-माने बांसुरी वादक हैं। उन्होंने बांसुरी के जरिए शास्त्रीय संगीत पूरी दुनिया में काफी लोकप्रिय बनाया है।
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जन्म
हरिप्रसाद चौरसिया का जन्म इलाहाबाद,प्रदेश में हुआ था। उनके पिता पहलवान थे। पांच वर्ष की उम्र में ही उनकी मां का देहान्त हो गया था। उनका बचपन बनारस में बीता।
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तबला वादन से हुई शुरुआत
उनकी शुरुआत तबला वादक के रूप में हुई। अपने पिता की मर्जी के बिना ही पंडित हरिप्रसाद जी ने संगीत सीखना शुरु कर दिया था। वह अपने पिता के साथ अखाड़े में तो जाते थे लेकिन कभी भी उनका लगाव कुश्ती की तरफ नहीं रहा।
कॅरियर
पंडित हरिप्रसाद चौरसिया ने बांसुरी के जरिए शास्त्रीय संगीत को तो लोकप्रिय बनाने का काम किया साथ ही संतूर वादक पंडित शिवशंकर शर्मा के साथ मिलकर ‘शिव-हरि’ नाम से कुछ हिन्दी फ़िल्मों में संगीत भी दिया। इस जोड़ी ने साथ मिलकर, 'चांदनी', 'डर', 'लम्हे', 'सिलसिला', 'फासले', 'विजय' और 'साहिबान'।
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इनके जीवन पर बन चुकी है फिल्म
पंडित चौरसिया ने एक तेलुगु फिल्म ‘सिरीवेनेला’ में भी संगीत दिया। जिसमें नायक की भूमिका उनके जीवन से प्रेरित थी। इस फ़िल्म में नायक की भूमिका 'सर्वदमन बनर्जी' ने निभायी थी और बांसुरी वादन उन्होंने ही किया था। इसके अलावा उन्होंने ने बालीवुड के प्रसिद्ध संगीतकारों सचिन देव बर्मन और राहुल देव बर्मन की भी कुछ फ़िल्मों में बांसुरी वादन किया।
सम्मान
पंडित हरिप्रसाद चौरसिया को कई अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा गया। उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार- 1984, कोणार्क सम्मान- 1992, पद्म भूषण- 1992, पद्म विभूषण- 2000, हाफिज अली खान पुरस्कार- 2000
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