नई दिल्ली। आने वाले समय में एविएशन के क्षेत्र में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अगर यह परीक्षण ( experiment ) सफल हो गया तो सन 2020 के बाद हवाई जहाज की परिभाषा ही बदल जाएगी। यह जानकर एक बार को तो आप सोच में पड़ गए होंगे। लेकिन यह सच है। वैज्ञानिक (scientist ) 2020 तक ऐसा हवाई जहाज ला रहे हैं, जिसके लिए किसी एयरपोर्ट ( airport ) या रन-वे की जरूरत नहीं होगी। इससे एयर ट्रैवलिंग ( traveling ) का पूरा कंसेप्ट ही बदल जाएगा। जिस तकनीक से इस हवाई जहाज को तैयार किया जा रहा है, उसे टिल्ट रोटर कहा जाता है। वैज्ञानिक टिल्ट रोटर AW609 पर काम कर रहे हैं। तो चलिए आपकों बतातें हैं कि तकनीकी क्षेत्र में पहली बार टिल्ट रोटर हवाई जहाज को किस तरीके से डिजाइन किया जा रहा है और कहां इसका उपयोग किया जाएगा।
डिजाइन और खासियत
आपकों बता दें कि अमरीका में इटली की एयरोस्पेस जेट लियानार्दो कंपनी हेलीकॉप्टर एसोसिएशन ने एटलांटा में इंटरनेशनल ट्रेड शो ( trade show ) में टिल्ट रोटर को पेश किया था। साथ ही इसकी खासियतों और अनोखे आविष्कार के बारे में लोगों को जानकारी दी थी। इसको बनाने के पीछे यह उद्देश्य है कि इस विमान को कही भी उतारा जा सके। इसके लिए रन-वे की जरूरत नहीं होगी। जिस तरह से हेलीकॉप्टर ( helicopter ) को कहीं भी उतारा जा सकता है, ठीक उसी तकनीक पर इस विमान को भी तैयार किया गया है।इस विमान के दोनों पंखों में रोटर लगाया गया है जो उड़ने में मदद करता है।इसके अलावा ये विमान तेज तुफान में भी सही दिशा में चलने में सक्षम होगा।
पहला टेस्ट 2015 में हुआ
अमरीका की सेना के पास V-22 Osprey नाम का हेलीकॉप्टर है। कंपनी अब इसी तकनीक पर हवाई जहाज बना रही है। कंपनी (company ) का मानना है कि AW609 आने वाले समय में कई बेहतर काम करेगा। साथ ही इसका डिजाइन को भी अलग तरीके से बनाया गया है। टिल्ट रोटर में प्रेशराइज केबिन भी है। जिसके चलते यह करीब 25 हजार फीट की ऊंचाई पर किसी भी तरह के मौसम में अपनी उड़ान भर सकता है। दरअसल, कंपनी ने इस विमान को फिलहाल मेडिकल इमरजेंसी (medical emergency ) सुविधा के लिए ही डिजाइन किया है। जब 2015 में इस एयरक्राफ्ट ( aircraft ) का टेस्ट किया गया था, तो इस दौरान दो पायलटों की जान चली गई थी। इसलिए कंपनी इसमें सुधार के लिए अन्य बारीकियों पर भी ध्यान दे रही है।
मेडिकल क्षेत्र में उतारा जाएगा टिल्ट रोटर
शुरुआती दौर में इसे चिकित्सा के क्षेत्र में उतारने के लिए तैयार किया जा रहा है। इसका सबसे बड़ा फायदा ऑर्गन डोनेशन के क्षेत्र में होगा। इसके कारण समय रहते से पहले ऑर्गन को दूसरी जगह जल्द भेजा जा सकेगा। इतना ही नहीं मरीजो को भी समय पर लेकर जाना और हार्ट ट्रांसप्लांट जैसे मामलों में यह वरदान साबित होगा। सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन में भी यह काफी मद्दगार साबित होगा। कंपनी के अनुसार- इसकी कीमत करीब 25 मिलियन डॉलर होगी। जो हेलीकॉप्टर से तीन गुना ज्यादा है। दूसरे विमानों से अलग होने के कारण कंपनी को फिलहाल अमरीका, जापान और यूएई से इसके लिए ऑर्डर मिलने भी शुरू हो गए हैं।
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