सर्दी-जुकाम या बुखार में बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक्स लेने की आदत सेहत के लिए कई दिक्कतें पैदा कर सकती है। एक शोध के अनुसार बार-बार एंटीबायोटिक्स लेने से पेट में मौजूद खराब बैक्टीरिया के साथ अच्छे बैक्टीरिया भी मर जाते हैं। जिससे बैक्टीरियल सिस्टम बिगड़ जाता है। ऐसे में पैंक्रियाज की कार्यप्रणाली बिगड़ने के कारण टाइप-टू डायबिटीज का खतरा भी बढ़ जाता है।
असर करना बंद हो जाता है -
बार-बार एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल से शरीर में इनके प्रति रेसिस्टेंस बढ़ने लगता है। जिस वजह से कुछ समय बाद मौसमी बीमारियों में ली जाने वाली एंटीबायोटिक्स दवाएं न के बराबर असर करती हैं। ऐसे में मरीज हाई डोज वाली एंटीबायोटिक्स का आदी होने लगता है जिससे अन्य गंभीर रोग भी हो जाते हैं।
ये हैं साइड इफेक्ट्स -
इन दवाओं के लिए नियमित डोज और कोर्स होता है। सही तरीके से एंटीबायोटिक्स न लेने पर साइड इफेक्ट हो सकता है। इसमें स्टेफन जॉनसन सिंड्रोम बेहद आम है। इस सिंड्रोम में मुंह में छाले और चेहरे व छाती पर दाने निकल आते हैं। यह जानलेवा भी हो सकता है।
वायरल में असरदार नहीं एंटीबायोटिक्स -
वायरल फीवर में अधिकतर मरीज बिना किसी डॉक्टरी सलाह के एंटीबायोटिक्स ले लेते हैं। जो असर नहीं दिखाती है। एंटीबायोटिक्स से बैक्टीरिया मरते हैं जबकि वायरल फीवर वायरस के कारण होता है। ऐसे में एंटीबायोटिक्स खाने से शरीर को नुकसान होता है।
5-7 दिन में ठीक होता है वायरल -
वायरल फीवर, सर्दी-जुखाम होने पर एक निश्चित समय के बाद ही ठीक होता है। इसमें 5-7 दिन लगते हैं। इसमें एंटीबायोटिक्स दवाएं नहीं लेनी चाहिए। केवल फीवर या सर्दी की दवा लें। निर्धारित समय में अपने से ठीक हो जाएगा। इसी तरह से डायरिया-दस्त में या बाहर खाना खाने के बाद भी एंटीबायोटिक्स न खाएं। इसे लेने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
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