शर्बत की तीन-चार चम्मच एक गिलास पानी में मिलाकर लेना चाहिए
गर्मी बढऩे के साथ ही बैचेनी, घबराहट, उल्टी-दस्त, सिरदर्द, चक्कर आना, यूरिन में जलन, एसिडिटी, घमौरियां, कील-मुंहासे आदि की समस्या बढ़ जाती है। यूनानी चिकित्सा पद्धति में कई ऐसे शर्बत हैं जिनको पीने से इन समस्याओं में आराम मिलता है। ये शरीर को ठंडा तो रखते ही हैं, साथ ही इनको पीने से शरीर को ऊर्जा भी मिलती है। शर्बत की तीन-चार चम्मच एक गिलास पानी में मिलाकर लेना चाहिए। इन्हें दिन में किसी भी समय दो-तीन बार पीना चाहिए। मधुमेह के रोगियों को चीनी के बिना शर्बत को लेना चाहिए। इसके अलावा गर्मी से बचने के लिए अक्सर ठंडी चीजों को लेने की सलाह दी जाती है। दूध ठंडा करके पीएं। छाछ, लस्सी, शर्बत लें। सलाद व मौसमी फल खूब प्रयोग करें। जरूरत के अनुसार पानी पीते रहें।
शर्बत नीलोफर
ये नीलोफर के फूल से बनता है। बैंगनी रंग के होते हैं। खून को साफ करने में मदद करता है। शरीर से गर्मी कम करता है। दिल, दिमाग, लिवर संबंधी तकलीफ में राहत देता है।
शर्बत तमरहिन्दी
ये इमली (गीली या सूखी) से बनता है। शरीर को ठंडक पहुंचाता है। घबराहट, उल्टी, गर्भावस्था के दौरान होने वाली उल्टियों में राहत देता है। यह दस्त में कारगर है। तीन-चार बार लेने से जल्द आराम मिलता है।
शर्बत उन्नाब
उन्नाब बेर के जैसा फल होता है। इससे बने शर्बत को पीने से खून साफ रहता है। गर्भावस्था के दौरान शिशु को पोषण मिलता है। कील-मुंहासों को ठीक करता है। गर्मी से होने वाली अर्टिकेरिया (शीत-पित्त) के रोगियों को आराम मिलता है।
मशरूब आंवला
ये आंवले से बनता है। घबराहट व हाइपरटेंशन में कारगर है। इससे याद्दाश्त बढ़ती है। पाचन मजबूत करता है। दस्त की तकलीफ में आराम देता है। सफेद प्रदर (सफेद पानी) की समस्या आराम मिलता है।
जवारिश आंवला
आंवला से बना शर्बत पेट की आंतोंं को ताकत देता है। लिवर की गर्मी को कम करता और भूख को बढ़ाता है। यह शरीर को ताकत, घबराहट और दस्त में कारगर है। ये आंवले, बील, बेहराशा, मुरब्बा हलेला, मुरब्बा आंवला, धनिया, छोटी इलायची के गूदे से बनता है। ये पेट को ताकत देता है। पाचन, पेट की गर्मी दूर करता है। हृदय को मजबूती देता है। तेज धकडऩ, कमजोरी और मस्तिष्क समस्याओं में फायदेमंद है। जवारिश शाही के लिए आंवला, बील, बेहराशा, मुरब्बा हलेला, मुरब्बा आंवला, धनिया, छोटी इलायची को समान मात्रा में गुदा निकाल लें। इसका तीन गुना दो तार की चाशनी में मिलाएंगे। इससे बने पेस्ट को सात ग्राम नियमित ले सकते हैं।
जवारिश तमरहिन्दी
यह इमली के गूदे से बनता है। गर्भवती महिला को उल्टियां, घबराहट, अनियंत्रित बीपी में फायदेमंद है। यह पाचन को दुरुस्त करता है और दस्त में कारगर है।
ऐसे बनाएं
नीलोफर के सूखे फूल 7 से 10 ग्राम आधा लीटर पानी में डालकर रात में भिगो दें। सुबह आधा पानी रहने तक उबालें। इसके बाद 30 ग्राम चीनी मिलाकर चाशनी बना लें। डायबिटीज के मरीज चीनी का प्रयोग न करें। इसे एक गिलास ठंडे पानी में बीस मि.ली. शर्बत डालकर दिन में दो-तीन बार पीएं।
शर्बत तमरहिन्दी के लिए 100 ग्राम इमली, 10 गुना पानी व तीन गुना शक्कर लेंगे। इसमें पानी आधा होने तक उबालें। इसे छानकर उसमें शक्कर डालकर एक तार की चाशनी बना लेंगे। दो चम्मच पानी में डालकर मिला लें।
जवारिश आंवला के लिए 100 ग्राम सूखा आंवला, तिहाई इलायची, इसका आधा सफेद चंदन को पीस लेंगे। इसका तीन गुना शक्कर की चाशनी दो तार की बनाएंगे। इसके बाद पाउडर को मिला लेंगे। शर्बत बनाने के लिए 7 ग्राम खाना खाने के बाद लेना चाहिए। पाचन सही करता है।
जवारिश तमरहिन्दी को बनाने के लिए इमली का गुदा, मुनक्का, अनार इमली व मुनक्का को अलग-अलग कूट लें। अनार के दानों का जूस निकाल लें। जूस में 250 ग्राम में समान चीनी लेकर चाशनी लें। इसमें मुनक्का व इमली का पेस्ट मिला लें। इसमें सिरका और अंगूर का जूस मिला लें। चाशनी में छह मासा तुलसी के पत्ते व पोदीना, काली मिर्च व सौंठ, तज के पत्ते, लौंग, इलायची छोटी-बड़ी पांच-पांच मासा लें। इसमें अच्छे से चाशनी में मिला लें। इसे सात ग्राम गुलाब अर्क के साथ लें। इसे मेटल के बर्तन में न प्रयोग करें।
डॉ. मोहम्मद आसिफ खान, यूनानी विशेषज्ञ
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